Neom सऊदी अरब के ऐसे प्रोजेक्ट का नाम है जो अपने वक्त का सबसे बेहतरीन प्रोजेक्ट है। यह सऊदी अरब के वेस्ट में गल्फ ऑफ अकाबा से शुरू होकर एक लाइन की सूरत में सऊदी अरब के ईस्ट में 170 किलोमीटर तक फैला होगा।
- 2021 में जब सऊदी क्राउनप्रिंस मुहम्मद बिन सलमान ने इसकी अनाउंसमेंट की थी तब देखा जा रहा था, की यह प्रोजेक्ट कभी स्टार्ट ही नही हो पाएगा। लेकिन सेटेलाइट इमेज में देखा जाए तो एक्चुअली इस पर काम स्टार्ट हो चुका है।
जो लोकेशन बताई गई थी एकजेटली वहा अंडर कंस्ट्रक्शन लाइन वाकई में नजर आ रही है जहां लाइन की लंबाई 170 किलोमीटर फैली होगी, वही उसकी चौड़ाई सिर्फ 200 मीटर है, यानी यह चौड़ाई नॉर्मली किसी सोसायटी के ब्लॉक जितनी है,
- NEOM की ऊंचाई को 500 मीटर तक प्लान किया गया है, 500 मीटर ऊंचे दो स्काई स्क्रैपर्स को 170 किलोमीटर तक खींचा जाएगा, यह इतना ही ऊंचा है जितना मुंबई के इंपीरियल 2 या कराची के बहेरया आइकॉन को डबल कर दिया जाए।
तो अब आप खुद लाइन की हाइट और इसकी लंबाई का अंदाजा लगा ले कि यह कितना बड़ा मेगा स्ट्रक्चर होगा, जैसे 830 मीटर ऊंचे बुर्ज खलीफा डायरेक्शन आसमान की तरफ है वही NEOM ऊंचा तरीन तो नहीं है, लेकिन दुनिया का सबसे लंबा स्काईस्क्रेपर जरूर होगा,
- अगर ऐसा ही कोई प्रोजेक्ट न्यू दिल्ली में बनाया जाए, तो उसकी लंबाई “आगरा तक फैली होगी या फिर “कराची से स्टार्ट किया जाए तो यह प्रोजेक्ट हैदराबाद” आकर खत्म होगा,
इस पूरी लाइन सिटी में 90 लाख लोग रह पाएंगे, अगर इस पूरी लाइन सिटी का एरिया निकाला जाए तो हम इसकी लेंथ और विथ को मल्टीप्लाई करेंगे, तो 170 किलोमिटर लेंथ और 200 मीटर की विथ, तो यह बनता है, 34 स्क्वायर किलोमीटर ।
सिर्फ 34 स्क्वायर किलोमीटर में 90 लाख लोग रहेंगे यानी एक स्क्वायर किलोमीटर में 2,64,705 । इंडिया के 1 करोड़ 20 लाख आबादी वाले मुंबई का एरिया 603 स्क्वायर किलोमीटर है। यानी यहां एक स्क्वायर किलोमिटर में 19,900 लोग रहते है, जो की NEOM की पापुलेशन डेंसिटी का सिर्फ 7.5% है, अगर आप दुनिया की सबसे बड़ी सिटी टोकियो का एग्जांपल ले, तो एक स्क्वायर किलोमिटर में 6,380 लोग रहते है, जो की NEOM की पापुलेशन डेंसिटी का सिर्फ 2.4% है।
- अब यह बात तो साबित हो गई के एरिया के हिसाब से NEOM बहोत ज्यादा optimize project हैं, जहां कम जमीन पर ही ऑर्गेनिक सिटीज के मुकाबले में काफी ज्यादा लोग रह पाएंगे, यानी जो काम 500 से 600 स्क्वायर किलोमीटर के शहर में होना था, वही यह काम सिर्फ और सिर्फ 34 स्क्वायर किलोमीटर में पूरा हो रहा है, इस बात में कोई शक नहीं है, की सऊदी प्रिंस की ये प्लानिंग बेशक बहोत पॉजिटिव है,
Neom The Line लीनियर सिटी किया है ?
जिस गति से दुनिया की पॉप्युलेशन बढ़ रही है, NEOM जैसी प्री प्लांट सिटी से फ्यूचर में बाजी ले पाएंगी, क्योंकि इसमें ऑर्गेनिक शहरों के मुकाबले में ज्यादा लोग बहुत कम रिसोर्सेस पर रह पाएंगे, इनको जल्दी भी बनाया जा सकता है, और काफी ज्यादा सस्ता भी इस तरह की सिटीज को लीनियर सिटी कहा जाता है, क्योंकि NEOM एक प्लान लीनियर सिटी है, इसी वजह से इसके काफी फायदे भी है, जैसा के नॉर्मल सिटी में रिसोर्सेस ज्यादा जाया होते है,
- लेकिन लीनियर सिटी में सब कुछ प्लांड होने की वजह से रिसोर्सेज का सोर्स न होने के बराबर होता है, जिससे ऑपरेटिंग कॉस्ट भी कम हो जाती है, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा ले कि मेक्सिको सिटी की पापुलेशन भी NEOM की प्रपोज्ड पापुलेशन जितनी ही है, लेकिन अगर मैक्सिको सिटी में सारे रोड को ऐड कर दिया जाए जिसमें में मेन रोड्स स्ट्रीट्स और एक्सप्रेस फेस भी शामिल है, तो यहां टोटल 3 लाख किलोमीटर से भी ज्यादा रोड्स बनाए गए हैं, इस रोड नेटवर्क को वन पीस में बनाया जाए,तो यह अर्थ के 7.5 चक्कर लगा सकता है,
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Neom The Line किया सुविधा मिलने वाली है ?
इसके मुकाबले में से पापुलेशन वाले NEOM में सिर्फ 170 किलोमीटर का रोड नेटवर्क होगा, NEOM की इस लाइन सिटी में सबसे ऊपर पेडेस्ट्रियन लेन रखी गई है, जहां कोई गाड़ियां नहीं चलेगी, दूसरी लेयर को सर्विस लेयर का नाम दिया गया है जिसमें गाड़ियां भी चलेगी और शोप भी इसी लेयर में होगी और तीसरी स्पाइन लेयर होगी जिसमें फुल्ली आर्टिफिशियल ट्रेन का नेटवर्क होगा, किसी को भी पूरे NEOM के 170 किलोमीटर में कहीं भी जाना होगा,
- वह लिफ्ट के जरिए स्पाइन लेयर में और ट्रेन में बैठकर अपनी मंजिल पर रवाना होगा, पूरे 170 किलोमीटर को यह हाई स्पीड ट्रेन सिर्फ कर 20 मिनट में कवर कर पाएगी यह 20 मिनट तो हम किसी मेट्रो पॉलिटिन सिटी में ट्रेवल के दौरान ट्रैफिक सिग्नल्स पर ही बर्बाद कर देते है, तो अब सवाल उठता है कि अगर लीनियर सिटीज के इतने ज्यादा फायदे हैं, तो फिर NEOM जैसे दूसरे प्रोजेक्ट्स दुनिया में कहीं और क्यों नहीं बनाई जा रहे, हकीकत यह है कि लीनियर सिटी का यह आइडिया काफी पुराना है,
और इसको इंप्लीमेंट भी किया गया था, पर यह ऐसे काम नहीं करता जैसे सोचा जा रहा है, 19th सेंचुरी में मैड्रिड की एक डिस्ट्रिक्ट में प्लेन लाइन सिटी बनाई गई थी, इसको CIUDAD LINEAL का नाम दिया गया था, इसकी विथ 400 मीटर थी NEOM से डबल और इसको 50 किलोमीटर लंबा प्लान किया गया था, लेकिन कंस्ट्रक्ट सिर्फ 5 किलोमीटर ही किए गए थे,
आइडिया ये था कि वक्त के साथ-साथ इसमें दूसरे सेक्टर ऐड करके इसकोऔर लंबा कर दिया जाए पर अगर ग्राउंड सिचुएशन देखी जाए तो आपको यह बात जानकर हैरत होगी कि मैड्रिड में आज इस लाइन सिटी को ढूंढना काफी मुश्किल है । आज इसके गिर्द फैले शहर ने इसको पूरी तरह से छुपा दिया है और असल में होता भी यही है, दुनिया में कहीं भी नजर दौड़ा कर देख ले शहर या बस्तियां हमेशाऑर्गेनिक तरीके से ग्रो करती है,
लोग अपनी रिक्वायरमेंट के हिसाब से किसी जगह पर आकर बसे है और फिर शहर उस पॉइंट के गिर्द फेलना शुरू करता है।कही पे सिफ्ट होने से पहले अपने ओफिसिस, स्कूल या यूनिवर्सिटीज तक का डिस्टेंस देखते हैं अपनी कन्वीनियंस के हिसाब से शहर में कोई एक लोकेशन सेलेक्ट करके वहां शिफ्ट होते हैं जबकि लीनियर सिटीज में ये ऑप्शन नहीं होता बल्कि सबको एक ही पैटर्न में रहना पड़ता है, और क्योंकि यह लंबी ज्यादा होती है इसी वजह से लोगों के दरमियान डिस्टेंस भी काफी बढ़ जाता है,
- मैड्रिड की लाइन सिटी में भी कुछ ऐसा ही हुआ था, यह लोगो की रिकवायरमेंट पर पूरा नहीं उतर सके, जिसकी वजह से यह आगे तो नहीं बढ़ पाई बल्कि फैलना शुरू हो गई, लीनियर सिटीज के जितने भी फायदे हैं वह असल में वह असल में गवर्मेंट के लिए है इनको ऑपरेट करना आसान होता है, और इसमें खर्चा भी कम होता है, लेकिन इंसान इसके अंदर बाउंड हो कर रह जाते है,
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Neom The Line में आने वाली रुकावटे
और सबसे बढ़कर लाइन सीटी कितनी ही लंबी क्यों ना हो, लेकिन बाहर की दुनिया पर डिपेंडेंट ही रहती है, डेली लाइफ की रिक्वायरमेंट पूरी करने के लिए “समान बाहर से ही आता है, और जाहिर है सारा सामान लाइन सीटी की एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स से ही अंदर आता है, इस तरह इनकी एंट्री और एग्जिट पॉइंटस पर नई ऑर्गेनिक सिटीज बनना शुरू जाति है।
जो फिर आहिस्ता आहिस्ता ओरिजिनल लाइन को “डिस्टर्ब करना शुरू कर देती है, मैड्रिड के अलावा कई और मुल्कों में लाइन सिटीज के प्रपोजल दिए गए थे लेकिन वह कभी कंप्लीट ही नहीं हो पाए, या फिर उनकी कंस्ट्रक्शन से पहले ही प्रोजेक्ट कैंसिल हो गए ।
Neom The Line में कितना खर्च आने वाला है ?
तो अब सवाल उठता है यह सब जानते हुए भी सऊदी अरब ने 500 बिलियन डॉलर्स के इस NEOM प्रोजेक्ट में क्यों हाथ डाला। सऊदी अरब ने खुद को ऑयल की कमाई पर इतना यूज्ड टू कर लिया है, कि अब उनके लिए मसले खड़े होना शुरू हो गए हैं, जहा दूसरी “अरब कंट्रीज ने बहुत पहले से ही यह खतरा भांप लिया था, और अपनी इकोनॉमिक्स को टूरिज्म की तरफ डायवर्ट कर दिया था,वहीं एक्सपर्ट्स का मानना है सऊदी अरब को आने वाला खतरा वक्त पर नजर नहीं आया,
Neom The Line को बनाने की वजह किया है ?
एस्टीमेट के मुताबिक 2050 के आसपास अर्थ के तमाम फॉसिल फ्यूल रिजर्व्स खत्म हो जाएंगे, और इस आने वाली मुसीबत में सबसे ज्यादा सऊदी अरब को इफेक्ट होने वाली है, यही वजह है कि दुनिया तेजी से इलेक्ट्रिक कार और ग्रीन एनर्जी की तरफ जा रही है, सऊदी अरब जिसकी 95% इकोनामी चल ही तेल की वजह से रही है अब उनकी यह डिपेंडेंसी गले का हार बन चुकी है,
- एक्सपर्ट का ख्याल है, इस डिपेंडेंसी से निकल ने के लिए और इकोनॉमी को टूरिज्म,टेक्नोलॉजी पर डाइवर्ट करने के लिए ही क्राउन प्रिंस ने यह कदम उठाया है, सऊदी का मेन सोर्स आफ इनकम है, SAUDI ARAMCO उसकी कुल एसेट्स 2 ट्रिलियन डॉलर है, पर य पैसे तो ऑयल कंपनी की वर्थ है, जो इनको हर साल 120 बिलियन डॉलर का प्रॉफिट जनरेट करके देती है,
जिसमे से करीब 70 बिलियन तो कंट्री के खर्चा में बजट की सूरत में चले जाते है। पीछे बचते है 50 बिलियन डॉलर यानी अगले दस सालो तक यही प्रॉफिट बरकरार रहा तब जाकर सऊदी NEOM के 500 बिलीयन डॉलर्स का खर्चा बर्दाश्त कर पाएगा, और अगर किसी वजह से यह प्रोजेक्ट फेल होगया फिर सऊदी अरब के पास अपनी इकोनॉमी को डायवर्ट करने का दूसरे इनकम रिसोर्सेज ढूंढने का वक्त नहीं बचेगा। आपका इस बारे में क्या ख्याल है मुझे कमेंट सेक्शन में जरूर बताइएगा मुझे उम्मीद है आपको यह इन्फोर्मेशन अच्छी लगी होगी इसलिए आप लोग इसे भरपूर शेयर करे ।
Nice